केरल के किसान का मॉडल: हर साल बेचते हैं एक लाख किलो कटहल, बचाते हैं 6 करोड़ लीटर पानी
यह लेख पहले The Better India पर प्रकाशित हो चुका है. वर्गीज थराकन ने कटहल की खेती के लिए जब अपने 12 साल पुराने रबर के बागानों को उजाड़ा तब गाँव वालों ने उनका बहुत मजाक उड़ाया।
केरल के त्रिशूर जिले के वेलूर पंचायत के एक गाँव में कुछ लोग कुल्हाड़ी लेकर तड़के सुबह अयूरजैक फार्म यानी रबर के बगीचे में पहुँचे और उसे उजाड़ने लगे। जैसे ही गाँव वालों को इस बात की भनक लगी तो सभी आसपास के ग्रामीण और किसान इकट्ठा हो गए। कुछ ग्रामीण खेत के मालिक वर्गीज थराकन को यह के ढूँढने लगे कि कुछ लोग उनके बागान को उजाड़ रहे हैं।
फिर पता चला कि खेत के मालिक वर्गीस खुद ही यह काम करवा रहे हैं। “आप पागल हो गए हैं? आपको पता है कि आप क्या कर रहे हैं? अपनी जिंदगी बर्बाद मत कीजिए।” लोगों के इन सवालों को अनसुना कर थराकन पेड़ों को कटवाते रहे।
कुछ ग्रामीण काफी दुखी हुए। उन्होंने सोचा कि थराकन पैसे के लिए पेड़ों को कटवा रहे हैं। इसलिए ग्रामीणों ने उन्हें कुछ आर्थिक मदद करने का आश्वासन दिया। लेकिन थराकन ने जब उन्हें बागान उजाड़ने के पीछे की असली वजह बताई तो सभी ग्रामीण झेंप गए।
थराकन ने लोगों को जब पानी बचाने, बाढ़ रोकने और क्षेत्र में पानी की समस्याओं से निपटने के अनोखे उपाय के बारे में बताया, तो लोगों ने उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया।
आठ साल बाद, अब वही लोग, जो कभी उन पर ताने मारते थे, अब कटहल उगाने के लिए उनके कृषि मॉडल के बारे में जानने के लिए उनके अयुरजैक फार्म आते हैं। इतना ही नहीं देश और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से कई विशेषज्ञ और किसान रिसर्च के मकसद से पूरे साल फार्म पर आते हैं।
थराकन ने द बेटर इंडिया को बताया, “मेरा पाँच एकड़ खेत, पूरे ग्राउंड वाटर और बारिश के पानी को सोख लेता था क्योंकि रबर के बागान के लिए बहुत अधिक पानी की जरूरत होती है। जमीन अधिक उपजाऊ है इसलिए मैंने सोच समझकर इसका सही तरीके से इस्तेमाल करने का फैसला लिया और रबड़ के पेड़ कटवा दिए। कटहल मेरे क्षेत्र का पारंपरिक फल है और मुझे बहुत पसंद भी है। मैंने इसी की खेती शुरू की।”
थरकान के मॉडल ने न सिर्फ उनकी पानी की समस्याओं को दूर किया है, बल्कि पड़ोस के खेतों की भी समस्याएँ दूर हो गई हैं। लगभग 35 कुएँ, जो कभी सूख चुके थे, अब पानी से लबालब भरे हैं। वह हर साल लगभग छह करोड़ लीटर बारिश का पानी बचाते हैं, जो कि उनके खेत में साल भर में 1,000 कटहल के पेड़ों को पानी देने के लिए पर्याप्त है।
इसके अलावा भी बहुत कुछ
थरकान के बगीचे में कटहल की 32 किस्में हैं। इन्हें WAFA (जल, वायु, खाद्य पुरस्कार) की पहली सूची में शामिल किया गया है, जो सभी के लिए सुरक्षित पेयजल, स्वच्छ हवा और भोजन सुनिश्चित करता है।
उनके मॉडल को राज्य द्वारा मिट्टी और जल संरक्षण के लिए शोनी मित्र पुरस्कार मिला है और यहाँ तक कि इसे लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में भी प्रस्तुत किया गया था।
वह बताते हैं कि 12 साल पुराने रबर के बागानों को उजाड़कर कटहल की खेती शुरू करना आसान नहीं था। रबर के बागानों से उन्हें अधिक मुनाफा होता था। जब उन्होंने कटहल की खेती करनी शुरू की तब उनकी उम्र 30 के आसपास थी। वहीं कुओं के सूखने के बाद पानी की कमी के कारण किसानों की खेती सूख जाती थी। वह कहते हैं, “इसके अलावा कभी-कभी लगातार मूसलाधार बारिश के कारण भी खेत बर्बाद हो जाते थे। पानी की समस्या को दूर करने के लिए हमें बारिश के पानी का फायदा उठाने के लिए एक अच्छी रणनीति बनाने की जरूरत थी। एक आसान सी जल संरक्षण विधि से पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान निकल गया।”
गाँव के बुजुर्गों की सलाह और बारिश के पानी को जमा करने की कई कोशिशों के बाद, थरकान ने 2013 में रेन हार्वेस्टिंग मॉडल तैयार कर लिया जिसे अंडरग्राउंड वाटर बैलेंसिंग सिस्टम कहते हैं।
थरकान कहते हैं, “यह मॉडल कोई रॉकेट साइंस नहीं है। मैंने अपने खेत में मिट्टी की खुदाई करके छोटी-छोटी खाइयों को खोद दिया था ताकि अंडरग्राउंड वाटर की एक-एक बूंद गड्ढे में जमा हो सके। मैंने बारिश के पानी को जमा करने के लिए अपने खेत को ऊँची परतों में बांट दिया। बारिश होने पर रास्ते में जमा अतिरिक्त पानी गड्ढों में पहुँच जाता है।
गड्ढों की वजह से पानी के बहाव का वेग कम होता है। जैसे-जैसे पानी का बहाव कम होता जाता है, पानी जमीन में तेजी से रिसने लगता है और इससे मिट्टी का कटाव रूकता है। इसका नतीजा यह निकलता है कि 2-3 मानसून के बाद रिचार्ज ग्राउंडवाटर लेबल ऊपर उठता है और कुआं भर जाता है।
थरकान ने जैविक खेती करके अपनी कृषि तकनीक में भी सुधार किया। वह कहते हैं, “अगर मैं कटहल उगाने के लिए रसायनों और कीटनाशकों का इस्तेमाल करता हूँ तो मैं अपने ही हाथों से पर्यावरण को नुकसान पहुँचाऊँगा। इसलिए मैंने प्राकृतिक खाद तैयार करना शुरू किया।”
उन्होंने अपने खेत में गड्ढे खोदे और उनमें गाय, बकरी का गोबर, नीम और कोकोपीट भरकर खाद बनाने के लिए रखा। वह कहते हैं, “हर पेड़ के लिए मैं प्राकृतिक खाद के रूप में लगभग 3-4 किलो सूखे खाद का उपयोग करता हूँ। इससे पौधों का पोषक स्तर बरकरार रहता है।”
जैविक तरीकों से खेती करने से, खेत की उपज और बढ़ गई।
थरकान हर साल अपने प्रत्येक पेड़ से 100 किलो कटहल तोड़ते हैं। वह साल में लगभग एक लाख किलो कटहल बेचते हैं।
जैविक खेती में दूसरों की मदद करने के लिए थरकान लोगों और किसानों को आठ किस्म के पौधे बेचते हैं। फिलहाल उनके खेत में एक लाख पौधे हैं।
वह कहते हैं, “हम कटहल के पौधों को बाजार में या ऑनलाइन नहीं बेचते हैं। हम केवल उन लोगों को पौधे देते हैं जो हमारे खेत पर आते हैं।”
उनकी किस्मों की खासियत यह है कि पेड़ों की ऊंचाई 7-8 फीट के बीच होती है। जबकि एक औसत कटहल का पेड़ लगभग 70 से 80 फीट ऊंचा होता है। कम ऊंचाई के कारण, उनकी किस्मों को छोटे गमलों और घरों मे भी उगाया जा सकता है।
थरकान अब पर्यावरण के अनुकूल अपने मॉडल के बारे में जागरूकता फैलाने और पानी के संकट को दूर करने के लिए राज्य सरकार के कृषि और शिक्षा विभाग के साथ सहयोग करने की योजना बना रहे हैं। वह स्कूल की पाठ्यपुस्तकों में अपनी खेती की तकनीक को शामिल करने की उम्मीद में हैं।
यदि आप पौधे या कटहल खरीदना चाहते हैं, तो वर्गीज थरकान से संपर्क करने के लिए यहां क्लिक करें।
यह लेख 15 सितंबर 2020 को The Better India पर पब्लिश हो चुका है. The Better India पर मेरे द्वारा लिखे हुए सारे लेख पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें.
Hi Anoop,
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